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Vastu Tips: घर की महत्वपूर्ण दिशा-उत्तर पूर्व दिशा

Vastu Tips: घर की महत्वपूर्ण दिशा-उत्तर पूर्व दिशा

जब तक कोई भूमि खाली पड़ी होती है उसका कोई Vastu नहीं होता किंतु जैसे ही नींव पड़ती है,दीवारें खड़ी होती है वहां वास्तु पुरुष की मंडल स्थित हो जाते हैं ।पूरी भूमि का वह भूमि खंड अब वास्तु के दायरे में आ जाता है।और दिशा में अपने गुणधर्म को दिखाना शुरू कर देती है।
भवन को भावना की पुत्री माना गया है।हमारा घर हमारी भावनाओं के अनुरूप कार्य करता है,या यह भी मान सकते हैं हमारा घर हमारी भावनाओं को बनाने के लिये उत्तरदायी है।मूलत:वास्तु के प्रमुख दो और तीन सहायक घटक है।दिशायें,पंचतत्व,तथा घर में होने वाली क्रियाऐं,उपयोगी सामान और सजावट का सामान।मुख्य चार दिशाओं पूर्व पश्चिम,उत्तर दक्षिण,और चार कोण- ईशान कोण,आग्नेय कोण,नैनृत्य कोण और वायव्य कोण होते हैं। प्रत्येक प्रमुख दिशा और कोण के मध्य एक  सहायक दिशा होती है।इस तरह घर में कुल 16 दिशा में होती है।पांच पंचतत्व -जल ,वायु ,अग्नि,पृथ्वी और आकाश  की अलग अलग दिशा में है उत्तर दिशा में जल पूर्व दिशा में वायु ,दक्षिण दिशा में अग्नि, दक्षिण  पश्चिम दिशा में पृथ्वी तथा पश्चिम दिशा में आकाश तत्व स्थित है।जिस दिशा का जो तत्व है यदि उस तत्व का सामान ,रंग ,आकार और धातु में आती है तो वह दिशा घर में संतुलित होती है और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है वरना दिशा असंतुलित हो जाती है और नकारात्मक प्रभाव दिखने लगते हैं।

Vastu Tips
जैसे हमारे शरीर में सिर सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है ठीक घर की उत्तर पूर्व की दिशा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।वैदिक वास्तु शास्त्र में इसे हम ईशान कोण के नाम से जानते हैं।हिंदु धर्म में इसे पूजा के लिए श्रेष्ठ स्थान बताया गया है।
वास्तुशास्त्र में वास्तु पुरूष मंडल की परिकल्पना की गई है,यह जल तत्व की दिशा होती है।जल का स्वभाव इस दिशा में देखने मिलता है।जैसे किसी प्लांट में दिवाले बनी छत डली वास्तु पुरूष यहां स्थित हो जाते हैं ।ये उल्टे लेटे हुयें है।इसका सिर उत्तर पूर्व दिशा की ओर तथा पैर दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर है।
वास्तु पुरुष मंडल का सिर घर के रहवासियों के सिर को चलाता है। अर्थात यदि घर की यह दिशा संतुलित होगी तो घर में रहने वालों के दिमाग संतुलित रहेगा।

संतुलन से क्या आशय है-

1.घर में यह भाग ना बहुत बडा़ हो ना बहुत छोटा हो।

Vastu Tips: यहां किसी तरह की नकारात्मकता फैलाने वाली गतिविधियां ना हो जैसे-

1.यहां टायलेट ना हो।
2. यहां किचन या गैस चूल्हा ना हो।
4. यहां अग्नि से संबंधित कोई वस्तु ना हो जैसे लाल रंग,तिकोना आकार की चीजें,तांबें का सामान
5. यहां पृथ्वी तत्व से संबंधित कोई वस्तु जैसे भारी सामान,मिट्टी से भरे गमले,पीला रंग,पीतल का सामान ना हो।
6. यहां मार्बल भी वर्जित है।

उत्तर पूर्व दिशा (North east,)में क्या रखा जा सकता है-
1. यहां पूजा स्थल होना सकारात्मक प्रभाव देता है
2. यहां ध्यान Meditation की जगह बनाई जानी चाहिए।
3. यहां बैठक कक्ष Drawing roomअच्छा होता है।
4. घर की यह जगह एकदम हल्की रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।किसी तरह का स्टोर ,बुक सेल्फ,गद्दे बिस्तरों का जमघट ना रखें तो अच्छा है।
5. इस दिशा को साफ सुथरा रखें।
6. डस्ट बिन जुते चप्पल की रैंक ना रखें।

क्या होगा जब-
1. यहां टायलेट यदि होगा तो सारी सकारात्मकता नष्ट हो जायेगी यानि की अच्छे विचारों का आना बंद हो जायेगा।निर्णय लेते नहीं बनेगा।भ्रम की स्थिति रहेगी आईडियाज नहीं करेगें।मस्तिष्क तथा तंत्रिकाओं से संबंधित संबंधी  बीमारियों से घिरने लगेगें।
2.गैस चूल्हा या लाल रंग या तांबे के धातु की अधिकता रहेगी तो घर में लोगों को गुस्सा बहुत आयेगा बात बात पे लोग एग्रेसिव होते रहेंगें।
3. यदि संतुलित नहीं होगा तो जिंदगी में किसी भी तरह के अवसर जैसे नौकरी,अच्छी पढ़ाई के अवसर  नहीं आयेंगे।
4. यदि भारी सामान होगा तो दिमाग में भारीपन रहेगा कुछ सुझाई नहीं देगा।
5.यदि पीला रंग और पीतल की अधिकता होगी तो दलदल जैसी स्थिति बनेगी काम पूरे नहीं होंगें।

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Vastu Tips: घर में उतर पूर्व दिशा को समृद्ध कैसे करें
1.मंदिर या ध्यान करने का स्थान बनाये
2. मंदिर में कमसे कम प्रतिमाओ की स्थापना करें।
3. प्रतिमा छै इंच से बढ़ीं ना रखें।
4. मंदिर में नीला ,हरा या क्रीम रंग का कपड़ा बिछायें
5. लाल रंग की चुनरी ,लाल रंग के वस्त्र ईश्वर को पहनाने से बचें।
6. इस जगह पर नीला ,हल्का हरा और क्रीम रंग का उपयोग करें।
7.भगवानबुध्द का कोई चित्र या कोई ध्यान से संबंधित पेंटिंग लगा सकते हैं।

रागिनी उपलपवार
वास्तु सलाहकार एवं हीलर
 भोपाल मध्यप्रदेश

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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