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जलहरण घनाक्षरी (सिद्धु पर व्यंग)

जब की क्रिकेट शुरु, बल्ले का था नामी गुरु,

जीभ से बै’टिंग करे, अब धुँवाधार यह।

 

न्योता दिया इमरान, गुरु गया पाकिस्तान,

फिर तो खिलाया गुल, वहाँ लगातार यह।

 

संग बैठ सेनाध्यक्ष, हुआ होगा चौड़ा वक्ष,

सब के भिगोये अक्ष, मन क्या विचार यह

 

बेगाने की ताजपोशी,अबदुल्ला मदहोशी,

देश को लजाय नाचा, किस अधिकार यह।।

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जलहरण घनाक्षरी विधान :-

चा पदों के इस छंद में प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 32 रहती है। घनाक्षरी एक वर्णिक छंद है अतः इसमें वर्णों की संख्या 32 वर्ण से न्यूनाधिक नहीं हो सकती। चारों पदों में समतुकांतता होनी आवश्यक है। 32 वर्ण लंबे पद में 16, 16 पर यति रखना अनिवार्य है। जलहरण घनाक्षरी का पदांत सदैव लघु लघु वर्ण (11) से होना आवश्यक है।

परन्तु देखा गया है कि 8,8,8,8 के क्रम में यति रखने से वाचन में सहजता और अतिरिक्त निखार अवश्य आता है, पर ये विधानानुसार आवश्यक भी नहीं है।

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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©

तिनसुकिया

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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