Hindi Poetry | माटी

गणेश जन्में नहीं। पारवता ने मिट्टी से बनाया है इन्हें मिट्टी में प्राण लख।

Sep 1, 2024 - 17:47
Sep 5, 2024 - 14:37
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Hindi Poetry | माटी
Soil

गणेश जन्में नहीं।
पारवता ने मिट्टी से बनाया है इन्हें
मिट्टी में प्राण लख।
गणेश में
प्राण भरे मिट्टी से ले।
आज भी गणेश
मिट्टी के बनाए जाते हैं!

मिट्टी में प्राण है।
मिट्टी अपने प्राण
वृक्षों पेड़-पौधों में भरती है।
मिट्टी को... मत मारो!
मिट्टी को जिंदा रखो, नहीं
धरती बांझ हो  जाएगी!

प्राणयुक्त है मिट्टी।
इसमें
पार्वती के हाथों की सोरम है!...
मिट्टी माटी नहीं है।
पंचतत्व का प्रथम
दर्शन है मिट्टी।

अन्न में
मिट्टी अपने प्राण भरती हैं
फसलों में मिट्टी अपने प्राण भरती हैं।
वनस्पतियों में
मिट्टी के प्राण भरे हुए हैं।
मिट्टी  में
प्राण है।

मिट्टी 
प्राणहीन नहीं है ।
धरती के प्राण भरे  हुए हैं
मिट्टी में।

मिट्टी
माटी में नहीं मिलाती।
आदमी स्वयं मिलता है
मिट्टी में।
मिट्टी संवारती है आदमी ‌,धरती।
मिट्टी में धरती के प्राण भरे हुए हैं।

बी.एल.माली ' अशांत'

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