Acid Attack
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Acid Attack : तेजाब से जलते विचार

Acid Attack : दिल्ली फिर एक बार कांप गई जब दिल्ली में बुधवार को १७ साल की लड़की पर दिन दहाड़े तेजाब फेंकने की घटना सामने आई। यह घटना द्वारका इलाके में सुबह ७:३० बजे हुई। लड़की छोटी बहन के साथ जा रही थी, तभी बाइक पर सवार २ लोग आए। पीछे बैठे लड़के ने तेजाब फेंक दिया। लड़की को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसका चेहरा झुलस गया है। तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में पता चला है कि आरोपियों ने एसिड फ्लिपकार्ट से ऑनलाइन खरीदा था।
तेज़ाब आया कहां से? सरकार क्या कार्य कर रही है तेज़ाब की बिक्री पर रोक क्यों नहीं? तेज़ाब का खुलेआम बेचा जाना ऑनलाइन किस आधार पर रोका नहीं जा रहा है?
हर तरह के सवाल हम कर रहे है। चाहे समाचार हो या समाज या राजनेता सभी को उस तेज़ाब की चिंता है जिसने उस लड़की के चेहरे को खराब कर दिया। आखिर हो भी क्यों ना तेजाबी तो वह दुश्मन है जो आज महिलाओं के जीवन का संघर्ष पर बैठा है और उनके जीवन को बर्बाद कर रहा है। वही तो इस मानसिक सोच के साथ बनता है कि महिलाओं को खूबसूरत दिखने का हक नहीं है यदि वह पुरुष की इच्छाओं को पूरा करने से इंकार करती है। तेजाब तो महिलाओं को इतना बड़ा दुश्मन है कि उसे फांसी दे देनी चाहिए सिर्फ उस पर बैन जैसे कार्य करना गलत है। आप को यह सुन हंसी आ सकती है या यह बात बेतुकी लग सकती है। किन्तु हमारे समाज में आज हम तेज़ाब के बिकने और ना बिकने को इतना अधिक महत्व ऐसे देने लगे है जैसे यदि तेज़ाब नहीं होगा तो महिलाओं के साथ अपराध नहीं होंगे। पुरूषों के विचारों में परिवर्तन आ जाएगा तेज़ाब के ना होने पर।
‌हमारी और हमारे समाज की समास्या यह है कि हम अपनी गलतियों की जड़ों को काटने की जगह केवल उन गलतियों की टहनियों को पकड़कर तोड़ने में लगें हैं। तेजाब का होना या ना होना महिलाओं के प्रति पुरूषों के विचारों को बनाने में कोई भूमिका तो नहीं निभाता है। यह तो बस एक हथियार बना लिया गया है अपनी विचारधारा को प्रकट करने का। हमारे घरों में जो लड़कों और लड़कियों को पाला जाता है तो इसी विचार के साथ पाला जाता है कि लड़कियां बेचारी और खूबसूरत होती हैं। यदि कोई लड़की खूबसूरत नहीं दिखती तो उसका जीवन बेकार है। लड़कियों को रंग के आधार पर भी इसी कारण से अनेक प्रकार की टिप्पणियों का सामना बचपन से ही करना पड़ता है। पुरुषों को एक मानसिक सोच दी गई है हमारे पालन पोषण में कि वह इस समाज के रक्षक हैं यह विचार ही उन्हें घर का मर्द बनाता है। महिलाओं को हमेशा पुरूषों के आश्रय में रहने की शिक्षा हमारा समाज, हमारी संस्कृति, हमारी शिक्षा देती है।‌ किंतु कोई स्त्री जब पुरुष को ना कहती है तब वह उन सीमाओं को तोड़ती है जिन्हें हमारे समाज ने पुरूषों के विचारों में समा दिया है।
यही वह समय होता है जब एक पुरुष मानसिक रूप से महिला को कमजोर समझ उसको अपने अपराध का शिकार बनाता है। महिला का खूबसूरत होना यह इतना बड़ा विचार है कि बचपन से ही हर व्यक्ति के जीवन में इसको बसा दिया जाता है चाहे वह लड़का हो या लड़की। लड़की का खूबसूरत होना बहुत आवश्यक माना जाता है। जिसके कारण आज तेज़ाब जैसी घटनाएं हमारे समाज में देखने को मिल रही है। यदि खूबसूरती का दिखावा हमने मानसिक रूप से अपने समाज में नाम बैठाया होता तो आज उसकी सजा कई बच्चियों को अपना जीवन और स्वास्थ्य नुकसान करके नहीं चुकानी पड़ती।
अदालतें कानून बना सकती है हमारी सुरक्षा के लिए जो वह बना भी रही है। तेजाब के बेचें जाने पर रोक भी इसी प्रकार का एक कानून है, जो हमारी सुरक्षा के लिए बनाया गया है। किंतु केवल कानून बना देने से ही सुरक्षा मुमकिन नहीं है। हमें अपने विचारों को बदलना होगा। रंग और खूबसूरती के दायरों से आगे लड़कियों का जीवन है यह समझना होगा। लड़कों को भी भावना को अनुभव करना सीखना होना। मर्द को दर्द नहीं होता इस विचार की जगह उस दर्द की तकलीफ को समझना सिखाना होगा, ताकि वह पत्थर बन दूसरों को दर्द देने की जगह इंसान बन दूसरों का दर्द समझना सीखें।
– राखी सरोज, नई दिल्ली

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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