दिल
दिल
in

दिल

यूं ही किसी दिन तुम्हारे इंतज़ार में
ज़िन्दगी हमारी
गुज़र जाएगी दिल ए बेक़रार में
दिल तो तुम्हारे भी धड़कता होगा शख़्स
दिल है तुम्हारी धड़कनों के इंतज़ार में
इतना ़ज्यादा अ़फसोस क्यों करते हो
वही मिली है ना ज़िन्दगी जो थी अख़्तियार में
नहीं मुमकिन है तेरे कहने भर से उनका आना
अब तो सदियां बीत जाएंगी इसी ऐतबार में
दिल जब जानता है उनकी आदत
मिलेगा सि़र्फ कीचड़ जो होंगे पानी के इंतज़ार में
नहीं हो सकता ऱकीब का वह साथ छोड़ दे
छोड़ा तो तुम्हें था उस चश्म ओ चिराग ने

-राजीव त्रिपाठी

What do you think?

Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कोरोना-एक मुसीबत

कोरोना-एक मुसीबत

तेरी एक छुअन से

तेरी एक छुअन से