ये बात और है कि मुझको बुरा लगे।
उसकी झूठी बात भी सच की तरह लगे।
समझने दो जो समझते हैं उसको मसीहा,
बला से मेरी, वो शख्स, मेरा क्या लगे।
किसी की मौत का कहां उसको मलाल है,
कफ़न का कारोबार है, उसे हादसा लगे।
आईना दिखलाए उसे उसके मुंह पर कौन?
ऐ खुदा उसको किसी की बद्दुआ लगे।
ऐ बुत परस्ती करने वालो शौक से करो,
‘बेजार’ सर झुकाये क्यों, क्या मेरा खुदा लगे?
-जे. ए. शेख