स्वतंत्रता सेनानी

कहानी

कविता

आलेख

जल और हमारा पर्यावरण

पर्यावरण का सरंक्षण व परिवर्द्धन का संदेश भारतीय जीवन दर्शन के आधार-चिंतन में नि...

आगे से फटा जूता

जिंदगी के आईने में अपने अनुभवों का अक्स वो हर आदमी देखना चाहता है, जिसके अंदर दू...

अंग्रेजी ने हमसे क्या छीना है

इस प्रकार हम देखते है कि अंग्रेजी ने हमसे हमारी भाषा का अपनापन छीन लिया है , निज...

शख्सियत

जनकवि नागार्जुन

नागार्जुन कबीर और निराला  की श्रेणी के अक्खड़ और फक्कड़ कवि थे ।वे खुद की बनाई र...

खोपड़ी पर पड़े हथौड़े की तरह  जगाने वाला साहित्यकार  मंटो

साहित्यकार  संकल्प ठाकुर  लिखते हैं कि " किसी बात  को कहने में  लिहाज  नहीं रखने...

फिराक गोरखपुरी"

साहित्यकार का जन्म और उसकी मृत्यु,उसके माता पिता,देश काल सबकुछ जैसे उसकी प्रतिबद...

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कविता

जलता चला गया

शिकायत बहुत थी जिंदगी से, पर बताता किसको? हर शख्स मुझे देखकर, बचता चला गया।

कविता

बदल कर तो देखो

न रहेगी जिंदगी से शिकायत तुमको कभी, कई दिन से भूखे बच्चे की तरह,पल कर तो देखो।

कविता

तितली

उड़कर फुनगी पर चढ़े,रंगीली सी गात। कैसे वह पहचानती, होने वाली प्रात।।

कविता

रंगीला फाग

पहला मधुकर रंग हो, इतना तो अधिकार। गोरी कोरी देह पर,दे पिचकारी मार।।

कविता

आत्मा और शरीर

गई थी वस्त्र फैलाने, भाग कर झट से तू आई,

कविता

नारी की अभिलाषा

महिला बिन पुरुषों का अस्तित्व भला नज़र कहीं आता है

कहानी

माँ की ममता

हिसाब बराबर हो रहा है बेटा जब तुम छोटे थे तो मैं तुम्हें खिलाती थी और आज तुम्हें...

आलेख

जल और हमारा पर्यावरण

पर्यावरण का सरंक्षण व परिवर्द्धन का संदेश भारतीय जीवन दर्शन के आधार-चिंतन में नि...

कविता

जिंदगी

बैठी हूँ वक्त की टहनी पर परिन्दों की तरह उड़ जाने को

कहानी

तबादले के बाद

लालजी साहू तारापुर कोलियरी के सेल्स आफिस का बड़ा बाबू था । जैसे थाने का बड़ा बाब...

आलेख

आगे से फटा जूता

जिंदगी के आईने में अपने अनुभवों का अक्स वो हर आदमी देखना चाहता है, जिसके अंदर दू...

कहानी

सच्चा साथी

रीना एक पढ़ी-लिखी संभ्रांत महिला थी।चेहरे मोहरे से भी ठीक-ठाक ही थी । यही नहीं स...

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