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Category: कविता

मेरी बेटी

कविता: मेरी बेटी

मेरी बेटी, पलकें बिछाए मैं जो तेरी प्रतीक्षा में दीवानी हुई जा रही थी, एक नन्ही सी योद्धा साथी की अब खोज ख़त्म हुई! दुगुना बढ़ गया स्वाभिमान मेरा मैं और मेरी बेटी जैसे हम एक ही दीया, पर दो बाती से खूब जलेंगे, रौशनी बिखेरेंगे, साथ साथ हो के और ज़्यादा पावन। जो कोई More

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लाड़ली

कविता: लाड़ली

हमें बच्चियों को, मुस्कान देना चाहिए। यहां हर दिन, उत्सव सा माहौल, रखना चाहिए। यहीं हमारी बेटियों को, सम्मान मिलेंगी। सात आसमान पर पहुंचने का, आधार बनेंगी। ज़िन्दगी के दौर में, यह एक सुंदर सलीका है। यहीं बेटियों को उन्नत करने का, खुबसूरत तरीका है। यहां सुख और शांति से विचार जरूरी है। बेटियों को More

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कविता: एक चमन के फूल हम

यह सच्चाई है, जीवन की अंगराई है। टूटते सिमटते हुए, घर -घर की कहानी है, यह आज़ की सिमटी दुनिया में, बढ़ रही कहानी है। परिवार अब परिवार कहां, मां बाप से बढ़ रही दूरियां यहां। जन्म देकर निष्प्राण हो गये, घर आंगन में अब, उनके अपने सब खो गये। भूल गए थे एक चमन More

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किसान

किसान

पीड़ा का भार भी सहते हो मौसम की मार भी सहते हो कैसे रह पाते हो तुम इतना बेफिक्र। तुमपे कर्ज़ है सरकार का रौब जमीदार का तुम्हें कोसते है सब मुह मोड़ते हैं सब फिर भी ख़ामोश पी लेते हो गरल शिव की तरह, मगर फिर भी कैसे रह पते हो तुम इतना बेफिक्र॥ More

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किसान

पीड़ा का भार भी सहते हो मौसम की मार भी सहते हो कैसे रह पाते हो तुम इतना बेफिक्र। तुमपे कर्ज़ है सरकार का रौब जमीदार का तुम्हें कोसते है सब मुह मोड़ते हैं सब फिर भी ख़ामोश पी लेते हो गरल शिव की तरह, मगर फिर भी कैसे रह पते हो तुम इतना बेफिक्र॥ More

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याद

मैं तुम्हें याद करता हूँ

मैं तुम्हें याद करता हूँ जैसे ठूँठ अपनी पत्तियों को याद करता है और पक्षी ठूँठ के अतीत को जैसे नदी पक्षियों को याद करती है और पहाड़ नदी को मैं तुम्हें याद करता हूँ जैसे समुद्र बारिश को याद करता है और बादल समुद्र को जैसे फूल बादलों को याद करते हैं और भौंरे More

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पहली

जब हम पहली बार मिलेंगे

दिन बीता है, अब रात भी बीती, बीत रहे है वर्षो कभी न कभी आएगा वो दिन, जब हम पहली बार मिलेंगे।। एक-एक पल है इंतजार उस पल का जब आएगा वो पल, दीदार होगा उनका जब आओगे सामने तो कहीं वक्त न थम जाएं ऐसा न हो कहीं तुम्हें मेरी ही नज़र लग जाएं More

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चलना लिखा है अपने मुक़द्दर में उम्र भर मंज़िल हमारी दर्द की राहों में गुम हुई

सावन

देख घटाएँ मन कहता है, सावन पर कोई गीत लिखूँ! ख़ुशियों से झूमे घर आँगन, त्यौहारों की रीत लिखूँ! सोमवार प्रिय दिन भोले के, शिव शंकर को हम ध्यावें। बेलपत्र और भांग धतूरा, गंगाजल से नहलावें। हर हर महादेव का गुंजन, श्रावण मास पुनीत लिखूँ! ख़ुशियों से झूमे घर आँगन, त्यौहारों की रीत लिखूँ! मंगला More

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उसने ना कहा था

उसने ना कहा था

कुचल दिया गया….. उसके सपनों को रुला दिया उसके अपनों को वह तो इस दुनिया से चली गई अनगिनत सवालों को वो पीछे छोड़ गई।। उसे नहीं पता था उसका “ना” कहना उसके दंभ पर करेगा ऐसा प्रहार बदला लेने के लिए वो भरी सड़क पर चाकू से करेगा ताबड़तोड़ उसपर वार उसको बचाने के More

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पहली

हम- तुम

ज़िंदगी चार दिन की है तो क्या हुआ साथ तुम दो अगर वक्त कट जायेगा दो क़दम हम चलें दो क़दम तुम चलो ज़िंदगी का सफ़र यूं ही कट जायेगा शाख पे देखो बैठे हैं बुलबुल औ गुल साथ में गुफ्तगू हैं किए जा रहे थोड़ा मेरी सुनो थोड़ा तुम कुछ कहो कहते – सुनते More

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वंदेमातरम

कारगिल विजय वंदेमातरम

गूंजे नारा जब वंदेमातरम। जां पर खेले जाएगें हम। धधक उठी घाटी जब कारगिल में। आ गया नव बल तब सैन्य दल में। एक के आगे दस पड़ गए कम। जां पर —- यदि है किसी में जुर्रत अगर। तो उठा कर देखे नजर इधर। सर उनका कर देगें कलम। जां पर —- दशरथ विनय More

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दशरथ विनय

दशरथ विनय

सुनो कैकई अगर राम जी वनवासी हो जायेंगे उजड़ जाएगी अयोध्या दशरथ रो रो कर मर जायेंगे मान प्रतिष्ठा वैभव सुख और प्राण भी जाएंगे तेरे हठ के कारण सब यश मिट्टी में मिल जाएंगे अंतर्मन तेरी करनी का फल आगे इतिहास बताएंगे सौतेली माँ के स्नेह से बच्चे अबोध घबराएंगे मर्यादा से मुक्त हुई More

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