
कविता: मेरी बेटी
मेरी बेटी, पलकें बिछाए मैं जो तेरी प्रतीक्षा में दीवानी हुई जा रही थी, एक नन्ही सी योद्धा साथी की अब खोज ख़त्म हुई! दुगुना बढ़ गया स्वाभिमान मेरा मैं और मेरी बेटी जैसे हम एक ही दीया, पर दो बाती से खूब जलेंगे, रौशनी बिखेरेंगे, साथ साथ हो के और ज़्यादा पावन। जो कोई More