ज़िंदगी का तजुर्बा
ज़िंदगी का तजुर्बा
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ज़िंदगी का तजुर्बा

घर के बड़े – बूढ़े
जिन्हे नहीं चाहिए ज्यादा कुछ,
चाहिए तो बस
थोड़ी इज्जत और सम्मान,
बदले में ये आपको दे
सकते है ,
ज़िंदगी जीने का वो तजुर्बा
जो शायद कही किसी
किताब में
लिखा ही नहीं
ऐसा बिलकुल भी नहीं हैं
ये कुछ नहीं जानते
ये सब जानते है ,
नए जमाने की बातें
पर ये
उन पेड़ो की तरह
है
जो हर मौसम और समय
के हिसाब से
ढलते रहे है
तभी तो वे किसी भी परेशानी में ,
जल्दी कराहते नहीं
नई पीढ़ी की तरह

संजय भास्कर 

भारतीय वीर प्रहरी

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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