स्वतंत्रता सेनानी

कहानी

कविता

आलेख

विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान

भारतीय महलाओं की विज्ञान के क्षेत्र की यह अतिमहत्वपूर्ण यात्रा जितनी भी कठिनाइयो...

राम कृष्ण तत्त्व के शक्ति पुंज

धर्मशास्त्र कहता है कि पिछला जन्म दुराचरण से जुड़ा है, तो बीमारियां, कर्ज, बुराई...

कोई बात नहीं

इन्सान तो गलतियों का पुतला ही है, गुण-दोष का समन्वित स्वरुप, जुदा–जुदा ख़्यालों ...

शख्सियत

जनकवि नागार्जुन

नागार्जुन कबीर और निराला  की श्रेणी के अक्खड़ और फक्कड़ कवि थे ।वे खुद की बनाई र...

खोपड़ी पर पड़े हथौड़े की तरह  जगाने वाला साहित्यकार  मंटो

साहित्यकार  संकल्प ठाकुर  लिखते हैं कि " किसी बात  को कहने में  लिहाज  नहीं रखने...

फिराक गोरखपुरी"

साहित्यकार का जन्म और उसकी मृत्यु,उसके माता पिता,देश काल सबकुछ जैसे उसकी प्रतिबद...

धरोहर

यात्रावृत्तांत

उपन्यास

सिनेमा

शायरी

ग़ज़ल

गज़ल

Latest Posts

View All Posts
आलेख

विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान

भारतीय महलाओं की विज्ञान के क्षेत्र की यह अतिमहत्वपूर्ण यात्रा जितनी भी कठिनाइयो...

कविता

दोषी तुम नहीं थे

प्रेम मेरे हिस्से उतना ही आया जितना जाल में फंसी मछली के हिस्से जीवन

उपन्यास

तीज त्योहार और उत्सव में होली के विविध स्वरूप

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन इसका शुभारंभ होता है। भोजपुरी में इसे ताल ठोंकना ...

आलेख

राम कृष्ण तत्त्व के शक्ति पुंज

धर्मशास्त्र कहता है कि पिछला जन्म दुराचरण से जुड़ा है, तो बीमारियां, कर्ज, बुराई...

कविता

लौटना

बेटियाँ जब लौट आती हैं पीहर देखती है रूठा घर -द्वार अपना

आलेख

कोई बात नहीं

इन्सान तो गलतियों का पुतला ही है, गुण-दोष का समन्वित स्वरुप, जुदा–जुदा ख़्यालों ...

कविता

सृजनकारी है वनिता

सहना मत अन्याय को, इससे बड़ा न पाप। लो अपना अधिकार तुम, छोड़ो अपनी छाप ।

आलेख

समान भूमि (विदेश में भारतीय स्त्री)

ठोकरें खाती है, चोट लगती है, चाल धीमी हो जाती है, अपनी पसंद के किसी भी काम के लि...

उपन्यास

मैं हूँ शिवयोगिनी अहिल्याबाई होलकर

सासू माँ के न रहने से बाबा साहेब का मनोबल और टूट गया फिरभी हिम्मत जुटाकर उन्हो...

कविता

अब न कुछ आस ना ही अंकुरण

प्रेम और अनुराग से सिक्त था हृदय जो  अब   हमारे  दिल  से  उठती  वेदना है| 

कहानी

पटरियाँ

'तुम्हारे पिता ने तो मुंबई में फ्लैट देने का वायदा किया था !’ पिता जी से सारी बा...

कविता

मेरी पहचान

इस समाज की खातिर अबला,  होती है बदनाम भला क्यों ? 

12