खुद पर विजय तू प्राप्त कर,
और बन जा शूरवीर सा,
चुन सत्य की राहें सदा,
बन के दिखा महावीर सा I
खुद जी सके,जीने भी दे,
बन शांति का प्रतीक सा I
बस कर्म कर,करता ही चल
बन ऐसा कर्मवीर सा I
मन में दया का भाव हो
बन कर्ण दानवीर सा I
वाणी में संयम रख सदा,
बन शील और गंभीर सा I
है स्वयं में सर्वग तू,
हो ना कभी अधीर सा I
निज स्वार्थ का अब त्याग कर,
बन धर्म की तस्वीर सा I
राग और द्वेष से परे,
सुख दुःख में सम रहे सदा,
कर ध्यान महावीर का
बन के दिखा महावीर सा I
तू बन जा महावीर सा,
तू बन जा महावीर सा I
: रुचि गोस्वामी