एक बार तो रोक लेना था न बाबा।
जा रही थी तुझे छोड़ कर बड़ी उदासी से
देख रही थी कई बार तुझे बड़ी मायूसी से
बह रही थी अश्रु की धारा बहुत तीव्रता से
उमड़ रही थी ममता तेरे हृदय में भी तेजी से।
एक बार तो रोक लेना था न बाबा।
एक आंसू न गिरने दिया कभी मेरी आंखों से
आज इतने आंसू गिरे पर न कहा कुछ मुझ से
पलकें भीग जाती हैं जब याद करती हूं दिल से
क्यूं गुजरती है हर बेटी और पिता इस दौर से।
एक बार तो रोक लेना था न बाबा।
किस संसार में जा रही हूं मैं दूर तुझसे
न जाने कौन-कौन से लोग मिलेंगे मुझसे
इस भीड़ में हर पल अकेलापन लगेगा मुझे
कई बार लगेगा कि क्यूं दूर हुई मैं तुझसे।
एक बार तो रोक लेना था न बाबा।
यहां हर किसी को कितनी उम्मीद थी मुझसे
पर मेरी तो हर एक उम्मीद थी सिर्फ तुमसे
कलेजे का टुकड़ा बोलते थे तुम सदा मुझे
आज कलेजे को ही दूर कर दिया दिलसे।
एक बार तो रोक लेना था न बाबा।
जन्म दिया है तुमने मुझे कई दुआओं से
कई रातें दी हैं तुमने मेरी बीमारी में मुझे
अधिकार तो तुम्हारा है मेरी जिंदगी में हमेशा से
तो विदा होकर मैं ही क्यूं जाऊं अपने घर से
एक बार तो रोक लेना था न बाबा।।
-गरिमा बाजपेई