सुनो कैकई अगर राम जी वनवासी हो जायेंगे
उजड़ जाएगी अयोध्या दशरथ रो रो कर मर जायेंगे
मान प्रतिष्ठा वैभव सुख और प्राण भी जाएंगे
तेरे हठ के कारण सब यश मिट्टी में मिल जाएंगे
तेरी करनी का फल आगे इतिहास बताएंगे
सौतेली माँ के स्नेह से बच्चे अबोध घबराएंगे
मर्यादा से मुक्त हुई तो अपयश हाँथ में आएंगे
राम सिया के दुख का कारण सब तुझको बतलाएंगे
कोमल कठोर इस ह्रदय को कर तो दोष अभी मिट जाएंगे
दुख के बादल छाये हैं जो पल भर में छंट जाएंगे
सीता के कोमल पग कैसे काँटों पर चल पाएंगे
वनवासी गर हुए राम तो सुख सारे खो जाएंगे
कवि अशोक कुमार शर्मा (अशोक महराज )
उन्नाव, उत्तर प्रदेश
उन्नाव, उत्तर प्रदेश