मेरी प्यारी बिटिया रानी,
दर्पण में अपनी सुन्दर छवि देख,
तनिक ना तुम इतराना,
दुनिया में बेखौफ जीने का,
हर हुनर तुम सीख जाना।
पग पग पर होगी तेरी परीक्षा,
लोगों की बेकार बातों से,
तनिक ना तुम घबराना,
अपने हौसलों से तुम पार हो जाना।
अपने संस्कारों में तुम बंधी रहो,
लेकिन हो यदि संस्कारों के नाम,
तुम पर कोई अत्याचार अगर तो,
सब कुछ खामोशी से ना सहती जाना।
रूप रंग के मोह पाश में ना तुम बंध जाना,
खुद को मेहनत की आग में बहुत तपाना,
बन सको औरों का भी संबल एक दिन,
अपने क्षेत्र में प्रसिद्धी का ऐसा परचम तुम लहराना।
-नीता चौहान