शीर्षक (माँ गंगा का अवतरण)
मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर)
गंगोत्री मेरा जन्म हुआ।
देवप्रयाग में मैं आयी।
देवप्रयाग से होते हुवे ऋषिकेश हो आयी।
हरिद्वार को पावन किया।
कानपुर में जगह बनाई।
प्रयागराज की धरती पर मैं अपनी बहनों से मिल पाई।
तब जा के कही मैं संगम कहलायी।
काशी की धरती पर हुई मेरी बड़ी बड़ाई ।
पटना की धरती पर मैंने अपनी अदभुत छठा फैलाई।
कोलकाता की धरती पर मैं गंगासागर में हूँ समाई।