रात सपनोँ मेँ आ गया कोई
चैन मेरा चुरा गया कोई !
बंदिशेँ तुझपे भी है मुझपे भी
कैसे कह दुँ कि भा गया कोई !
तुझसे ज्यादा हसीन और भी हैँ
चाँद को ये जता गया कोई !
इश्क करना है इबादत रब की
राज मुझको बता गया कोई ।
तुझसे मिलने के बाद ये भी हुआ
मुझको पागल बता गया कोई ।
वजूद कुछ ना रहा मेरा इश्क मेँ तेरे
मेरी हस्ती पे छा गया कोई ।
ये तेरे इश्क का उजाला था
रोशनी मेँ नहा गया कोई ।