गज़ल
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गज़ल

रात सपनोँ मेँ आ गया कोई
चैन मेरा चुरा गया कोई !

बंदिशेँ तुझपे भी है मुझपे भी
कैसे कह दुँ कि भा गया कोई !

तुझसे ज्यादा हसीन और भी हैँ
चाँद को ये जता गया कोई !

इश्क करना है इबादत रब की
राज मुझको बता गया कोई ।

तुझसे मिलने के बाद ये भी हुआ
मुझको पागल बता गया कोई ।

वजूद कुछ ना रहा मेरा इश्क मेँ तेरे
मेरी हस्ती पे छा गया कोई ।

ये तेरे इश्क का उजाला था

रोशनी मेँ नहा गया कोई ।

बहस में जितना

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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बहस

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