Salim Kausar
Salim Kausar तमाम उम्र रहा जिस का इंतिज़ार मुझे
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ग़ज़ल

ग़ज़ल:

खा के ठोकर गीरे भले गिरना
किसी की नजर में तू मत गिरना .
तुझे मिलेगा जो लिखा तेरे नसीबों में
किसी मजलूम का हक़ मत छीनना .
तेरा दामन भले हो तार तार कांटों में
फिर भी तू एक गुलाब सा खिलाना .
हर कोई जी रहा तनहा तनहा
कितना मुश्किल है अपनों से घिरना .
एशो इशरत भी मिली शौहरत भी
फिर भी मुश्किल सुकून का मिलना .

महेश शर्मा धार
धार, मध्य प्रदेश 

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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