मिटाने से भी हस्ती हमारी मिटती नहीं,
समुंदर में भी कस्ती हमारी नही रूकती।
ना विश्वास हो तो इतिहास उठा कर देख लो।
जब-जब हमने हथियार उठाया है एक नया इतिहास बनाया है।
अपने वतन की रक्षा हम दिलो जान से करते है,
इसमें जान भी चली जाये तो ग़म नही करते है।
हम देश के लिये ही जीते है और देश के लिये ही मरते है।
देश भक्ति है कि हमारे दिल से जाती नहीं,
हमको देश भक्ति के सिवा कुछ आती नहीं।
जिस मिटटी में जन्म लिया है उसका कर्ज चुकायेगे।
हम भारत के वीर है पीठ नही दिखायेगे।
तपती गर्मी में भी खड़े है देश की रक्षा करने पर अड़े है।
आँधी आये तूफान आये या फिर हो बरसात,
देश की रक्षा पहले है बाकी सब देश के बाद।
इसी मिटटी में अपने दुश्मन को दफ़न करके जायेगे।
नापाक इरादा रखने वालो को अच्छा सबक दिखाएंगे है,
क़ब्र उनकी हम यही बनायेगे।
हम अपने धरती माँ के माथे पर उनके खून से तिलक लगाएंगे।
आँधी और तूफानों का रूख मोड़ देगे,
दुश्मन ने जो हमारी धरती की तरफ़ देखा उसकी आँखे फोड़ देगे।
-मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर)