जिन्दगी और मौत
जिन्दगी और मौत
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जिन्दगी और मौत

मौत तो यूँ ही बदनाम हैं।

लोग तो जिन्दगी से परेशान हैं।

जिन्दगी हर रोज़ लाती एक नया एग्जाम हैं।

जो इसको पास कर जाये वही बलवान हैं।

बाक़ी सब तो जिन्दगी से ही परेशान हैं।

जिन्दगी मे पल पल पर एक नया मोड़ हैं।

आज कुछ और तो कल कुछ और हैं।

कोई अपने भविष्य के लिये परेशान हैं।

कोई दौलत के लिये हैरान हैं।

तो कोई अपने क़िस्मत से परेशान हैं।

पिता बेटे से परेशान हैं।

जिधर भी देखो सब हैरान परेशान हैं।

जिन्दगी की हर रोज़ एक कहानी हैं।

आज ग़म हैं जिन्दगी मे तो कल खुशी आनी हैं।

खुल के जियो जिन्दगी मे।

क्योंकि मौत तो एक ना एक दिन आनी हैं।

मौत के बिना जिन्दगी की भी अधूरी कहानी हैं।

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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