जिंदगी
जिंदगी
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जिंदगी

कई सवाल है मन में, तुझसे ए जिंदगी।
कई हिसाब है लेने, तुझसे ए जिंदगी।

पलटती है कई ख्वाहिशें, मेरे ख्वाबों की
बदलती है तकदीर मेरी, कई राहों की
खेलता है वक्त मुझसे कई-कई बदलाव से
क्यूं गुजरती हूं मैं इन वक्त के ठहराव से।

कई हिसाब है लेने, तूझसे ए जिंदगी।

ठहर जाऊं लगता है कभी इन गहराइयों में
क्यूं चलती हूं मैं, जीवन की हर तन्हाइयों में
जो लिख दिया है तूने, बस जियूं उन्ही फैसलों में।
क्यूं करूं वो सब जो हों सिर्फ तेरी चाहत में।

कई जवाब है लेने तूझसे ए जिंदगी।

खुश हूं मैं तेरे हर पल बदलते रंग से
जो तूने दिये हैं मुझे, उन हर रिश्तों से
जो खूबसूरत रिश्ते तूने छीनें थे मुझसे
क्यूं जियूं मैं उनके बिना जो तूने नहीं दिये।

कई हिसाब हैं लेने तूझसे ए जिंदगी।।
कई सवाल है मन में तुझसे ए जिंदगी।।

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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