#सहित्यनामा पत्रिका
#दैनिक रचना
#विधा- काव्य
दिनांक -13.03.2023
शीर्षक-
प्यार,वक़्त और दौलत
प्यार तो बेसुमार था,
पर वक़्त नही था।
जब वक्त निकाला,
तो प्यार नहीं था।।
ख़ता इतनी सी हुई मुझसे,
कि दौलत के पीछे भागा,
अब दौलत तो मिली मगर,
वह प्यार नहीं था।।
दौलत तो वही थी ,
यह समझ नहीं पाया।
खोने के बाद उसको,
अब समझ में आया।।
क़सूर मेरा ही था हर बार,
इज़हार न कर सका।
वक़्त और दौलत ने,
इतना दौड़ाया मुझे,
अपनी जिन्दगी को ठीक से,
मैं प्यार भी न कर सका।।
स्वरचित मौलिक रचना-
विकास पाण्डेय ‘निर्भय’
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)