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जीवन का मर्म

जिंदगी का समझो मर्म,

जीवन में अहम है कर्म,

हृदय को शुद्ध रक्खे धर्म,

प्रखर ताप में भी रहे नर्म।

भक्ति भाव  रहता है गौण,

जब जागता न रहता मौन,

झरने जैसा यह फूट पड़ता,

हृदय में अविरल स्रोत बहता।

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Written by Swapan

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