मेरी मां
मेरी मां
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मेरी मां

दुःख – सुख, हर एक दर्द में खड़ा रहूंगा

अपनी मां की मुसीबत का, सामना करूंगा।

गर आई मेरी मां पर, एक भी चोट

कसम से, उन चोटों से भी लड़ जाऊंगा।

शब्दों से बात करते करते कब दिल में बसुंगा

पता नही कब मम्मा का रियल बेटा बनूंगा ?

अब मैं अपनी मम्मा को हर पल हसाऊंगा

जब बोला ही है मां, तो उस फर्ज़ को निभाऊंगा।

वो परिवार भईया का ही नही मेरा भी होगा

सुख में तो नही, पर हर एक दुख में हिस्सा होगा।

मैं अपनी मां का, हर एक कहना मानूंगा

दूर का ही सही, पर सच वाला बेटा बन, दिखाऊंगा।

जब मम्मा, पापा का दिल से आशीर्वाद पाऊंगा

याद रखना फिर मैं भी कलेक्टर बनकर आऊंगा।

ये कलेक्टर तो बसरते एक बहाना होगा

असली मकसद तो मां के हाथ का बना खाना होगा।

मेरी मां की ममता में ये सारा जहां होगा

जब भी पुकारेगी मेरी मां, ये बेटा हर हाल खड़ा होगा।

#fearless

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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