खुबसूरती की मिसाल हो,
तुम गुलाब और…
तुम्हारी मुस्कुराहट,
उसके तो कहने ही क्या !!
देख उसे दुख में भी लोगों के
होंठों पर मुस्कान अपने-आप ही
थिरकने पर मजबूर,
हो जाती है…
अपनी गोद में कॉंटों को
समेटे तुम कितनी सरलता से
अपना जीवन …
जीते जा रहे हो ।
इतनी सहनशीलता,
इतनी शक्ति,
इतनी उदारता
तुम्हें आती कहॉं से है ?
और ये जो भीनी-भीनी खुशबू,
जो तुम फैलाते हो,
उसके बाद तो किसी भी
इत्र की जरूरत नहीं।
पशु, पक्षी और इन्सान,
में भी तुमने कभी फर्क,
नहीं समझा…
तुम्हारी कोमल पंखुड़ियाँ …
हरेक को एक सा अहसास
दिलाती हैं।
और ये भी सही है,
तुम्हारे जो पास काँटें हैं …
वो यह प्रेरणा देते हैं कि,
अपनी रक्षा खुद
ही करनी चाहिए।
अपनी रक्षा…चाहिए ।
हे गुलाब,
तुम कैसे कर लेते हो ,
ये सब…. ?
कैसे कर लेते हो,
ये सब….?