सब जानते हैं
की नाम लेते नहीं कोई
लेकिन जानते हैं सब
मैं भी पक गया हूं
पहचानते हैं सब
बंद आंखों से चलाते हैं बाण
ढाल बन रहते हैं अब
देखता हूं समय की चक्की में
आते हैं कब
चाहता मैं भी बुरा नहीं
आ मिल-जुल रहते हैं सब
कोई भी छोटा-बड़ा नहीं
हंसते-हंसते कहते हैं कब
जुबां कुछ तेज है
शहद टपकते हैं कब
चार दिन की जिंदगानी
सफर करते हैं अब
है धरा गोल हमारी
जाने मिलते हैं कब
दूर से ही मुस्कुराया करेंगे
जानते हैं सब
What's Your Reaction?