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माँ दुर्गा

शीर्षक (माँ दुर्गा)

मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर)

तू ही दुर्गा तू ही अम्बे तू ही वैष्णो रानी है।

तुझमे ही ये संसार समाया तू ही पर्वत वाली है।

पर्वत पर है वास तेरा तू ही अम्बे महारानी है।

तुझसे तो काल भी घबराये तेरी महिमा बड़ी निराली है।

असुर संहारनि सिंह वाहिनी तू दुर्गा तू ही काली है।

शिव संगनि जगत नंदिनी तू छपरवाली है।

तू ही पाप नाशनि त्रिशूल धारणी तू ही सती तू ही मात भवानी है।

खड़क धारणी महिस संहारनि तु ही चंडमुंड उद्धारनि है।

दुर्गनाशिनी पापनाशिनी तू ही मात स्वरूपा है।

अन्नदायनी विद्या दयानि अन्नपूर्णा तू अन्न ही स्वरूपा है।

दुःखहरनि मुक्ति दयानि तू ही सती स्वरूपा है।

तू ही अम्बा तू ही जग्दम्बा तू आदि शक्ति निशानी है।

हंसवाहिनी विद्या दयानि तू सरस्वती स्वरूपा है। 

कालो में काली है तू जग्दम्बा भवानी है।

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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