कहानी

वसुंधरा पुष्कर

हे परमपिता! निराकार हो, कण कण में समाए रहते हो हर पत्ते- बूटे में तुम ही तुम द...

झूठी प्रशंसा

मृणाल शहर से लोकप्रशासन की पढ़ाई पूरी कर गाँव आया। उसे लगा कि गाँव अब भी वैसा ही...

प्रेम

युक्रेन की युद्धरत भूमि पर प्रेम की दास्तान

बदलाव की बयार

राजस्थान की दिव्यकृति सिंह  घुड़सवारी में अर्जुन अवार्ड पाने वाली पहली भारतीय मह...

पटरियाँ

'तुम्हारे पिता ने तो मुंबई में फ्लैट देने का वायदा किया था !’ पिता जी से सारी बा...

बिजनेस पार्टनर

अकेलेपन से ऊबकर उसने एक दो स्कूलों में भी आवेदन किया मगर इन्टरव्यू में कुछ ज्याद...

परतें मैंल की

जब उसकी शादी के लिए लड़की देखी जाने लगी है तब उसने बताया की लड़की तो उसने पहले स...

चस्का मंच संचालन का !

संचालक बनने के लिए आवश्यक जानकारियाँ गूगल बाबा से जुटाईं. सोशल मीडिया की खिड़कियो...

अ-शुभ

दोपहर के लगभग तीन बजे ह्वाट्सएप पर आया यह मैसेज कुछ अजीब था। यह मैसेज देखने के ब...

अनपढ़

उस दिन पापा ने माँ को फिर अनपढ़ कहा तो मैं बोल पड़ा "पापा माँ को पढ़ना आता है।"

ये केसा तेरा देश है बेटा ?

महानगरों की धकापेल में प्राचीन भारतीय संस्कृती को जीवित रखते हुए सादगी और सच्चाई...

माँ की ममता

हिसाब बराबर हो रहा है बेटा जब तुम छोटे थे तो मैं तुम्हें खिलाती थी और आज तुम्हें...

तबादले के बाद

लालजी साहू तारापुर कोलियरी के सेल्स आफिस का बड़ा बाबू था । जैसे थाने का बड़ा बाब...

सच्चा साथी

रीना एक पढ़ी-लिखी संभ्रांत महिला थी।चेहरे मोहरे से भी ठीक-ठाक ही थी । यही नहीं स...

मेघा की दास्तां

दोनों का दाम्पत्य जीवन सुखमय हुआ। पति भी मेघा को पढ़ाई के लिए बहुत सहयोग देते है...

प्रेम भरी पाती

से ही पाती के नायक का सरनेम लिखने लगी थी । नेहा के दिल में अपने प्रेमी के लिए प्...