अंतर्मन
अंतर्मन
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अंतर्मन

उतर आती है आसमां से
एक मुट्ठी किरण, जो अपनी
दिव्यता से मेरे अंतर्मनको प्रकाशित करती है।
और फिर हृदय में ज्वलंतकई नैतिक
सवाल जन्म देती है, उस परब्रम्ह को
समझने का प्रयास कठिन है।
समझ लेअपने आपको मनुष्य,
इसी में उसकी भलाई है ।
और मानवता भी जीवित रहेगी ।
यही प्रयास हो वरना, प्रकृति
सब वापस करती है, कुछ नही रखती
अपने पास, धर्म या अधर्म,
सब ज्यों का त्यों वापस कर देती है
मनुष्य को उसी रूप में।
मलय कुमार मणि
नोएडा

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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