क़तील शिफ़ाई  की कुछ बेहतरीन शायरियां

हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ

हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ

यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना

उफ़ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं

दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं

दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था

हम उसे याद बहुत आएँगे जब उसे भी कोई ठुकराएगा

ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे

गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता

बशीर बद्र की बेहतरीन शायरियां