Ali Sardar Jafri की 10 बेहतरीन शायरी
काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा रास्ते बंद हैं सब कूचा-ए-क़ातिल के सिवा
इंक़लाब आएगा रफ़्तार से मायूस न हो बहुत आहिस्ता नहीं है जो बहुत तेज़ नहीं
सौ मिलीं ज़िंदगी से सौग़ातें
हम को आवारगी ही रास आई
पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है
ये किस ने फ़ोन पे दी साल-ए-नौ की तहनियत मुझ को तमन्ना रक़्स करती है तख़य्युल गुनगुनाता है
शिकायतें भी बहुत हैं हिकायतें भी बहुत मज़ा तो जब है कि यारों के रू-ब-रू कहिए
इसी लिए तो है ज़िंदाँ को जुस्तुजू मेरी कि
मुफ़लिसी को सिखाई है सर-कशी मैं ने
इसी लिए तो है ज़िंदाँ को जुस्तुजू मेरी कि
मुफ़लिसी को सिखाई है सर-कशी मैं ने
बहुत बर्बाद हैं लेकिन सदा-ए-इंक़लाब आए वहीं से वो पुकार उठेगा जो ज़र्रा जहाँ होगा