अयादत को आए शिफ़ा हो गई मिरी रूह तन से जुदा हो गई -मीना कुमारी
हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह -मीना कुमारी
अयादत होती जाती है इबादत होती जाती है मिरे मरने की देखो सब को आदत होती जाती है -मीना कुमारी
ये न सोचो कल क्या हो कौन कहे इस पल क्या हो -मीना कुमारी
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा -मीना कुमारी
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता -मीना कुमारी
जब ज़ुल्फ़ की कालक में घुल जाए कोई राही बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता -मीना कुमारी
दिल तोड़ दिया उस ने ये कह के निगाहों से पत्थर से जो टकराए वो जाम नहीं होता -मीना कुमारी
अब आँख खुली अब होश आया बहका सा जब गुल-पोश आया -मीना कुमारी
न कोई शहर न रस्ता न सफ़र मुंतशिर ज़ेहन की उलझी घातें -मीना कुमारी