ये शिव पार्वती के प्रेम का अहम किस्सा है, शिव पार्वती एक दूजे का अभिन्न हिस्सा है।
पार्वती जी को शिव को पाने की जो चाहत थी, वो शिव जी को पाने के बाद अब पुरी हो गई।
अगर पार्वती शिव की इतनी दीवानी ना होती, तो अमर शिव पार्वती के प्रेम की कहानी ना होती।
ये दुनिया की सबसे अलग ही प्रेम कहानी है, जिसमें महलों की रानी, वैरागी शिव की दीवानी है।
सच्चे प्यार के रिश्ते बड़े प्यारे होते है, ये रिश्ते दुनिया में सबसे निराले होते है।
इनका रिश्तों एक नहीं अनेक जन्मों से है, इसलिए शिव पार्वती दो नहीं बल्कि एक है।
मेरी जुबान पर सुबह शाम होता है जिनका नाम, वो शिव ही मेरा प्रेम है और शिव ही मेरे भगवान।
शिव में खुद को खोकर ही पार्वती ने अपना अस्तित्व पाया, सच्चा प्रेम क्या होता है माँ पार्वती ने पूरी दुनिया को बताया।