John Elia's Shayari: शायर जौन एलिया की कुछ बेहतरीन शायरी
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो
उस को भाते होंगे
कितनी दिलकश हो तुम कितना
दिल-जू हूँ मैं क्या सितम है कि
हम लोग मर जाएँगे
ख़र्च चलेगा अब मेरा किस के हिसाब में भला सब के लिए बहुत हूँ मैं
अपने लिए ज़रा नहीं
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी
तो फिर दुनिया की परवाह क्यूँ करें हम
काम की बात मैंने की ही नहीं
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं