Shayar Sheikh Ibrahim  Zauq : शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ की पढ़ें 10 चुनिंदा शेर

देख कर क़ातिल को भर लाए ख़राश-ए-दिल में ख़ूँ  सच तो ये है मुस्कुराना कोई हम से सीख जाए

कह दो क़ासिद से कि जाए कुछ बहाने से वहाँ गर नहीं आता बहाना कोई  हम से सीख जाए

जब कहा मरता हूँ वो बोले मिरा सर काट कर झूट को सच कर दिखाना कोई हम से सीख जाए  

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे मर गये पर न लगा जी  तो किधर जायेंगे

हुए क्यूँ उस पे आशिक़ हम अभी से लगाया जी को नाहक़ ग़म अभी से 

क्या आए तुम जो आए घड़ी दो घड़ी  के बाद सीने में होगी सांस  अड़ी दो घड़ी के बाद 

मर्ज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे

तुम जिसे याद करो फिर उसे क्या  याद रहे न ख़ुदाई की हो परवा  न  ख़ुदा याद रहे 

हाथ सीने पे मेरे रख के किधर देखते हो इक नज़र दिल से इधर देख  लो गर देखते हो