कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
-साहिर लुधियानवी
इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़
ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद
-कैफ़ी आज़मी
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों
-बशीर बद्र
आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
- वसीम बरेलवी
बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो
ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो
- मीर तक़ी मीर
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे
- मिर्ज़ा ग़ालिब
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
- गुलज़ार
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं
वगरना यूं तो किसी की नहीं सुनी मैं ने
-
जौन एलिया
हज़ारों काम मोहब्बत में हैं मज़े के 'दाग़'
जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं
-
दाग़ देहलवी
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
-
अहमद फ़राज़