रूह के रिश्तो की यह गहराइयां तो देखिए, चोट लगती है हमें और दर्द मां को होता है।
“कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती, सब कुछ मिल जाता है पर माँ नहीं मिलती..”
“घर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए, लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई..”
“माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती, माँ की बात कभी टाली नहीं जाती, अपने सब बच्चे पाल लेती है बर्तन धोकर, और बच्चों से एक माँ पाली नहीं जाती..”
“जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ, में खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ..”
“किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई , मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई..”
सीधा साधा भोला भाला में ही सबसे अच्छा हूँ, कितना भी हो जाऊ बड़ा माँ में आज भी तेरा छोटा बच्चा हूँ।
जज्बात माँ के संग माँ जिक्र तुम्हारा मेरे ख्यालों में, मेरी ही अधूरी परछाई बनकर आता है, बिना तुम्हारे मेरी शख्सियत को, ज़िन्दगी का नज़राना भी नहीं देख पता है।
भीड़ में भी सीने से लगा के दूध पिला देती है, बच्चा अगर भूखा हो तो माँ शर्म को भुला देती है।
“हँसकर मेरा हर गम भुलाती है माँ, मैं रोता हूँ तो सीने से लगाती है माँ, बहुत दर्द दिया है इस ज़माने ने मुझको, सबकुछ झेलकर जीना सिखाती है माँ..”
“खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी… जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी..”
चलती फिरती आंखों से अजां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है।
“मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है..”