अकेलेपन के अन्धेरें में दूर दूर तलक यह एक ख़ौफ़ जी पे धुँआ बनके छाया है फिसल के आँख से यह छन पिघल न जाए कहीं पलक पलक ने जिसे राह से उठाया है. – मीना कुमारी
इतना कह कर बीत गई हर ठंडी भीगी रात सुखके लम्हे, दुख के साथी, तेरे ख़ाली हात. – मीना कुमारी
मातें कैसी घातें क्या, चलते रहना आठ पहर दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी भी साथ मिली. – मीना कुमारी
जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं हॊता. – मीना कुमारी
ये रात ये तन्हाई ये दिल के धड़कने की आवाज़ ये सन्नाटा ये डूबते तारों की ख़ामोश ग़ज़ल-कहानी. – मीना कुमारी
आगाज़ तॊ होता है अंजाम नहीं होता जब मेरी कहानी में वॊ नाम नहीं होता. – मीना कुमारी
मातें कैसी घातें क्या, चलते रहना आठ पहर दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी भी साथ मिली. – मीना कुमारी
सब तुम को बुलाते हैं पल भर को तुम आ जाओ बंद होती मेरी आँखों में मुहब्बत का एक ख़्वाब सजा जाओ. – मीना कुमारी