मीना कुमारी नाज़ की बेहतरीन शायरी

हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह

आबला-पा कोई इस दश्त में आया होगा वर्ना आँधी में दिया किस ने जलाया होगा

आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता

यूँ तेरी रहगुज़र से दीवाना-वार गुज़रे काँधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुज़रे

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा

अयादत को आए शिफ़ा हो गई मेरा रूह तन से जुदा हो गई

आँखों को देखते ही बोले बिन पिए कोई मदहोश आया

जब चाहा इक़रार किया है जब चाहा इंकार किया देखो हम ने ख़ुद ही से ये कैसा अनोखा प्यार किया

कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है

अब आँख खुली अब होश आया बहका सा जब गुल-पोश आया