इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब' किस्से न लगे और बुझाए न बने- ग़ालिब
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें - अहमद फ़राज
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क ना महसूस हो जहां मैं दिल को उस मकाम पे लाता चला गया - साहिर लुधियानवी
इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या आगे-आगे देखिये होता है क्या - अल्लामा इक़बाल
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं - राहत इंदौरी
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा - वसीम बरेलवी
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है - मुनव्वर राना
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं - राहत इंदौरी
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे इक आग का दरिया है और डूब के जाना है - जिगर मुरादाबादी
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा - वसीम बरेलवी