मेरे सर पे कर्जा है भगत सिंह की चीखों का, मेरा हृदय आभारी है उनकी दी हुई सीखों का.
कर दी जिसने कुर्बान अपनी जवानी वतन के खातिर, आओ हम भी खून से लिखे अपनी कहानी वतन के खातिर.
भगत सिंह ने अपनी जान दे दी इस आजादी के लिए, और आपस में हम लड़ रहे है छोटी-छोटी बातों के लिए.
लिख दो लहू से अमर कहानी वतन के खातिर, कर दो कुर्बान हंसकर ये जवानी वतन के खातिर.
मेरे जज्बातों से मेरा कलम इस कदर वाकिफ हो जाता हैं, मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो इन्कलाब लिखा जाता हैं.
जशन आज़ादी का मुबारक हो देश वालो को, फंदे से मोहब्बत थी हम वतन के मतवालो को।
लड़े वो वीर जवानों की तरह ठंडा खून भी फौलाद हुआ मरते-मरते भी कई मार गिराए तभी तो देश आजाद हुआ
क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।
राख का हर एक कण, मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है।।
भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन।