दिले-नादां तुझे हुआ क्या है  आखिर इस दर्द की दवा क्या है  -गालिब

दर्द को दिल में जगह दो अकबर  इल्म से शायरी नहीं होती  -अकबर इलाहाबादी

फलक देता है जिनको ऐश उनको गम भी होते हैं  जहां बजते हैं नक्कारे वहां मातम भी होते हैं  -दाग

नाजुकी उन लबों की क्या कहिए पंखुड़ी एक गुलाब की सी है  मीर उन नीमबाज आंखों में  सारी मस्ती शराब की सी है  -मीर

हमन है इश्क, मस्ताना, हमन को होशियारी क्या रहें आजाद यों जग से, हमन दुनिया से यारी क्या -कबीर

कितना है बदनसीब जफर दफ्न के लिए  दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में                                                -जफर

दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए  वो तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है   -हसरत जयपुरी

घर लौट के मां-बाप रोएंगे अकेले में  मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में           -कैसर उल जाफरी

बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता जो बीत गया है वो गुजर क्यों नहीं जाता                  -निदा फाजली

मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है  ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है                       -कुमार विश्वास