ये हैं शबीना अदीब
की लिखी ग़ज़लों
से चुनिंदा शेर
आज दुनिया को ये तरक़ीब बता दी जाए
दुश्मनी प्यार की लहरों में बहा दी जाए
मरने वालों के लिए लोग दुआ करते हैं
मेेरे मरने की भी अफ़वाह उड़ा दी जाए
मेरे होटों पे शिकायत भी नहीं आएगी सामने सबके हक़ीक़त भी नहीं आएगी बस मुझे बेवफ़ा कह दीजिए मर जाऊंगी आप पर क़त्ल की तोहमत भी नहीं आएगी
रंजिशों में कब इंसां सोगवार रहता है दिल मुहब्बतों में ही बेक़रार रहता है लौटकर नहीं आता कब्र से कोई लेकिन प्यार करने वालों को इंतज़ार रहता है
अभी न आएगी नींद तुमको
अभी न हमको सुकूं मिलेगा अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा
अभी ये चाहत नयी-नयी है
जो चाहते हैं मदद सभी से
ज़लील होते हैं वो जहां में
नवाज़ती है उन्हीं को दुनिया
जो मांगते हैं ख़ुदा से पहले
वो बेवफ़ा हो गया है फिर भी
उसी की यादों में गुम रहूंगी ये कैसे भूलूं कि उसने मुझसे
वफ़ा भी की है जफ़ा से पहले
वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था आज की दास्ताँ हमारी है
तू किसी रास्ते का मुसाफ़िर रहे
तेरी एक एक ठोकर उठा लाऊँगी
अपनी बेचैन पलकों से चुन चुन के
मैं तेरे रस्ते के पत्थर उठा लाऊँगी
बमों की बरसात हो रही है
पुराने जाँबाज़ सो रहे हैं
ग़ुलाम दुनिया को कर रहा है
वो जिस की ताक़त नई नई है
वतन बचाने का वक़्त है ये
मकां बचाने की फ़िक्र छोड़ो मेरे भी हाथों में दे दो परचम
मेरे बुज़ुर्गों हिना से पहले