खलील मामून बेहतरीन शायरी : Khaleel Mamoon Best Shayari

लफ़्ज़ों का ख़ज़ाना भी कभी काम न आए बैठे रहें लिखने को तिरा नाम न आए

ऐसा हो ज़िंदगी में कोई ख़्वाब ही न हो अँधियारी रात में कोई महताब ही न हो

दर्द के सहारे कब तलक चलेंगे साँस रुक रही है फ़ासला बड़ा है

हर एक काम है धोका हर एक काम है खेल कि ज़िंदगी में तमाशा बहुत ज़रूरी है

ऐसे मर जाएँ कोई नक़्श न छोड़ें अपना याद दिल में न हो अख़बार में तस्वीर न हो

हज़ारों चाँद सितारे चमक गए होते कभी नज़र जो तिरी माइल-ए-करम होती

तुम नहीं आओगे ख़बर है हमें फिर भी हम इंतिज़ार कर लेंगे

चलना लिखा है अपने मुक़द्दर में उम्र भर मंज़िल हमारी दर्द की राहों में गुम हुई

मुझे पहुँचना है बस अपने-आप की हद तक मैं अपनी ज़ात को मंज़िल बना के चलता हूँ

सर्फ़ चेहरा ही नज़र आता है आईने में अक्स-ए-आईना नहीं दिखता है आईने में