तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करताकई जन्मों से बंदी है, बगावत क्यों नहीं करता
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामाहमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामाअभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत कामैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
सूरज पर प्रतिबंध अनेकों और भरोसा रातों परनयन हमारे सीख रहे हैं हँसना झूठी बातों पर
तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है,
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है
कुछ छोटे सपनों के बदले,बड़ी नींद का सौदा करने,निकल पड़े हैं पांव अभागे, जाने कौन डगर ठहरेंगे
तुम ग़ज़ल बन गईं, गीत में ढल गईं
मंच से मैं तुम्हें गुनगुनाता रहा
इश्क करो तो जीते जी मर जाना पड़ता है
मर कर भी लेकिन जुर्माना चलता रहता है
क़ोशिशें मुझको मिटाने की मुबारक़ हों मगर
मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मज़ा ले जाऊँगा
सब तमन्नाएँ हों पूरी, कोई ख्वाहिश भी रहे,
चाहता वो है मुहब्बत में नुमाइश भी रहे |आसमाँ चूमे मेरे पँख तेरी रहमत से,
और किसी पेड़ की डाली पर रिहाइश भी रहे |
तुम्हें जीने में आसानी बहुत है,
तुम्हारे ख़ून में पानी बहुत है |ज़हर-सूली ने, गाली-गोलियों ने,
हमारी जात पहचानी बहुत है |