राहत इंदौरी की चुनिंदा शायरी जिसे पढ़ कर आप हो जाओगे उनके दीवाने
विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है।
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें,शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें।
मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है,
और वही शख्स पराया भी बहुत लगता है,
उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन
आने जाने में किराया भी बहुत लगता है।
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
ये सहारा जो नहीं हो तो परेशान हो जाएँ,मुश्किलें जान ही लेलें अगर आसान हो जाएँ,ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जाएँ।
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए,जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए,भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए,पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए।
तुम ही सनम हो, तुम ही खुदा हो,वफा भी तुम हो तुम, तुम ही जफा हो,सितम करो तो मिसाल कर दो,करम करो तो कमाल कर दो।
प्यार के उजाले में गम का अँधेरा क्यों है,
जिसको हम चाहे वही रुलाता क्यों है,
मेरे रब्बा अगर वो मेरा नसीब नहीं तो,
ऐसे लोगो से हमे मिलता क्यों है।
जहाँ से गुजरो धुआं बिछा दो,जहाँ भी पहुंचो धमाल कर दो,तुम्हें सियासत ने हक दिया है,हरी जमीनों को लाल कर दो।
दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं,
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं,
हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे,
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं।