परवीन शाकिर की शायरी: पाकिस्तान की सबसे लोकप्रिय शायरात में शामिल। स्त्रियों की भावनओं को आवाज़ देने के लिए मशहूर
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी वो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
इतने घने बादल के पीछे कितना तन्हा होगा चाँद
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
रात के शायद एक बजे हैं सोता होगा मेरा चाँद
मैं फूल चुनती रही और मुझे ख़बर न हुई वो शख़्स आ के मेरे शहर से चला भी गया
काँप उठती हूँ मैं ये सोच के तन्हाई में मेरे चेहरे पे तेरा नाम न पढ़ ले कोई