इक़बाल अशहर की शायरी:  सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल, मुशायरों का ज़रूरी हिस्सा।

वो किसी को याद कर के मुस्कुराया था उधर और मैं नादान ये समझा कि वो मेरा हुआ

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई

ले गईं दूर बहुत दूर हवाएँ जिस को वही बादल था मिरी प्यास बुझाने वाला

सुनो समुंदर की शोख़ लहरो हवाएँ ठहरी हैं तुम भी ठहरो वो दूर साहिल पे एक बच्चा अभी घरौंदे बना रहा है

सोचता हूँ तिरी तस्वीर दिखा दूँ उस को रौशनी ने कभी साया नहीं देखा अपना

न जाने कितने चराग़ों को मिल गई शोहरत इक आफ़्ताब के बे-वक़्त डूब जाने से

ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई आज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई

वही तो मरकज़ी किरदार है कहानी का उसी पे ख़त्म है तासीर बेवफ़ाई की

किसी को खो के पा लिया किसी को पा के खो दिया न इंतिहा ख़ुशी की है न इंतिहा मलाल की

तेरे किरदार को इतना तो शरफ़ हासिल है तू नहीं था तो कहानी में हक़ीक़त कम थी