कैफ़ी आज़मी की कुछ बेहतरीन शायरियाँ

बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में कि तेरा जिक्र भी आ जाएगा फसाने में

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं

इंसान की ढवाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीन भी चाहिए दो गज़ कफन के बाद

बस्ती में अपनी हिंदू मुसलमान जो बस गा.ए इंसान की शक्ल देखने को हम तरस गए

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई तुम जैसे गाए ऐसे भी जाता नहीं कोई

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो क्या गम है जिस को छुपा रहे हो

अब जिस तरफ से चाहे गुजर जा.ए कारवां वीरानियां तो सब मिरे दिल में उतर गाण

मेरा बचपन भी साथ ले आया गाँव से जब भी आ गया कोई

मुद्दत के बाद हमें ने जो लुत्फ की निगाह जी घुश तो हो गया मगर आंसू निकल पाडे

अदा जाफरी की कुछ बेहतरीन शायरियां