Maa Shayari :  माँ के लिए शायरी 

कभी चाउमीन, कभी मैगी,  कभी पीजा खाया लेकिन, जब मां के हाथ की रोटी खायी  तब ही पेट भर पाया। 

हर घड़ी दौलत कमाने में  इस तरह मशरूफ रहा मैं, पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं। 

मैंने कभी भगवान को नहीं देखा है, लेकिन मुझे इतना यकीन हे की, वो भी मेरी माँ की तरह होगा! 

माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती, माँ की बात कभी टाली नहीं जाती, अपने सब बच्चे पाल लेती है  बर्तन धोकर, और बच्चों से एक माँ पाली नहीं जाती.. 

भीड़ में भी सीने से लगा के  दूध पिला देती है, बच्चा अगर भूखा हो  तो माँ शर्म को भुला देती है। 

मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है..” 

“किसी को घर मिला हिस्से में  या कोई दुकान आई , मैं घर में सबसे छोटा था  मेरे हिस्से में माँ आई..” 

“खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी… जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी..”