मानसून आया...
मानसून आया धरा हर्षाई पेड़ों ने श्रृंगार पाया पहाड़ों पर रंगत छाई ।
मानसून आया
धरा हर्षाई
पेड़ों ने श्रृंगार पाया
पहाड़ों पर रंगत छाई ।
आकाश छुप गया
ओट बादलों की
बिजुरी करे इशारा
बूंदों की बजी शहनाई ।
भाव बन के पानी
बह रहा सर्वत्र अब तो
तालाब की शोभा
फिर से लौट आई ।
ठहरेगा कितने दिन
ये पाहुना धरा का
चला जायेगा यहाँ से
क्या करके भरपाई ।
नया पानी पाकर
नदियों ने रंग बदले
लगती थी बूढ़ी बूढ़ी
अब दिख रही तरुणाई ।
झरने लगे हैं गिरने
नालों पर चंढ़ी खुमारी
दुबक कहीं जा बैठी
गर्मी जो थी हरजाई ।
व्यग्र पाण्डे
What's Your Reaction?