मैं बस तुझको गाता हूँ!!!
कोई मंदिर का दर गाता कोई मस्जिद गाता है कोई गाता है गिरिजाघर कोई गुरुघर गाता है मैं तेरे पावन चरणों में अपना शीश नवाता हूँ

कोई मंदिर का दर गाता
कोई मस्जिद गाता है
कोई गाता है गिरिजाघर
कोई गुरुघर गाता है
मैं तेरे पावन चरणों में
अपना शीश नवाता हूँ
मैं बस तुझको गाता हूँ माँ
मैं बस तुझको गाता हूँ!!
दृश्य तू ही है दृष्टि तू ही है
मेरी सारी सृष्टि तू ही है
ममता करुणा दया प्रेम की
रिमझिम रिमझिम वृष्टि तू ही है
जब भी हाथ बढ़ाता मैं तो
तेरा आँचल पाता हूँ
मैं बस....
तू थपकी है तू लोरी है
आशीषों की तू बोरी है
जिस पर चलता जीवन मेरा
तू जादू की वो डोरी है
तू पारस है तुझको छूकर
मैं सोना हो जाता हूँ
मैं बस....
जगने का अभ्यास रखा है
अधरों पर मृदुहास रखा है
देव मनाए मंदिर मंदिर
मास मास उपवास रखा है
तेरे बाले दीपक से ही
मैं सूरज हो जाता हूँ
मैं बस....
तेरे आँचल में अमरत है
तेरी गोदी में तीरथ है
तेरी बाहों में मोद भरा
तेरे चरणों में जन्नत है
यह तुझको ही ज्ञात नहीं
मैं तुझसे क्या क्या पाता हूँ
मैं बस....
निर्लोभी निष्काम बनाया
धवल धैर्य का धाम बनाया
तू कौशल्या है रे मेरी
तूने मुझको राम बनाया
तेरी शिक्षाओं को छूकर
मैं उत्तम हो जाता हूँ
मैं बस....
मैं महिमा कैसे गाऊँ माँ
मैं शब्द कहां से लाऊँ माँ
कहाँ से लाऊँ कागज ऐसा
मैं कलम कहाँ से लाऊँ माँ
तेरे सम्मुख आकर मैं तो
मौन मूक हो जाता हूँ
मैं बस....
आलोकेश्वर चबडाल
नई दिल्ली
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